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Friday, 5 June 2009

मैं दीवाना

उनसे जब मिल कर आया मैं दीवाना  
चरणों में सब धर आया मैं दीवाना 

तेरे दीवानों की बस्ती में जा कर 
सुन कैसे बच कर आया मैं दीवाना 

उनके सम्मोहन में इतनी ताक़त थी 
फिर क्यों अपने घर आया मैं दीवाना 

गैरों में बिंदास घूम कर आता हूँ 
पर अपनों से डर आया मैं दीवाना 

जाने क्या क्या करने को मैं निकला था 
जाने क्या क्या कर आया मैं दीवाना 

"जोगेश्वर" पर इल्जामों की पोटलियाँ  
इक मंदिर में धर आया मैं दीवाना

3 comments:

ओम आर्य said...

badhiya hai diwana......lage rahe

Unknown said...

अभियोगी रे भरी कचहरी मेरा दोष बताना रे
या तो इन आंखों का पानी झूठा या झूठा अभियोग
अन्यायी रे सूली चढ़ाने से पहले जरा आंख मिलाना रे...
अभियोगी रे...

वीनस केसरी said...

"जोगेश्वर" पर इल्जामों की पोटलियाँ
इक मंदिर में धर आया मैं दीवाना

बहुत बढ़िया
वीनस केसरी