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Tuesday 5 January, 2010

किस्से और कहानी भी

किस्से और कहानी भी
दिल में और जुबानी भी

गया बुढापा सुना कभी
लौटी कभी जवानी भी

कठमुल्ले समझेंगे क्या
कबीरा तेरी वाणी भी

बढ़ कर सौ सैलाबों से
आँखों वाला पानी भी

लगे हकीक़त जैसी क्यों
दुनिया आनी जानी भी

कुछ मेरा दीवानापन
कुछ उनकी मनमानी भी

"जोगेश्वर" को छोडो पर
ढूंढो उसका सानी भी

2 comments:

समयचक्र said...

"जोगेश्वर" को छोडो पर
ढूंढो उसका सानी भी
वाह गजब की बात जोगेश्वर जी ....

Udan Tashtari said...

वाह भाई वाह!!


बहुत खूब!!



’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’