पावन गंगा नीर ग़ज़ल
सागर-सी गंभीर ग़ज़ल
कान्हा बन कर लाज रखे
द्रौपदियों का चीर ग़ज़ल
बुद्धिमान दरबारों में
युद्ध-भूमि में वीर ग़ज़ल
हिम्मत-सी दिल के अन्दर
हाथों में शमशीर ग़ज़ल
झरने जैसी बह निकली
पर्वत जैसी पीर ग़ज़ल
सिर्फ स्वप्न मत समझ इसे
ख़्वाबों की ताबीर ग़ज़ल
अट्टहास है खुशियों में
दुःख में भी दिलगीर ग़ज़ल
होश जोश में रखवाए
कष्टों में दे धीर ग़ज़ल
अनुशासित औ असरदार
एकलव्य के तीर ग़ज़ल
"जोगेश्वर" का प्यार अमर
मैं रांझा हूँ हीर ग़ज़ल
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7 comments:
दिल से दिल तक बँटती है
इक ऐसी जागीर ग़ज़ल।
शायर के एहसास जिये
इक ऐसी तस्वीर ग़ज़ल।
जोगेश्वर साहब आपकी ग़ज़ल व्याख्या ने समॉं बॉंध दिया।
बधाई।
ye ganga jal he amrit
kaho apne dil ki 'wani' se ganga tera jal amrit
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
झरने जैसी बह निकली
पर्वत जैसी पीर ग़ज़ल
सिर्फ स्वप्न मत समझ इसे
ख़्वाबों की ताबीर ग़ज़ल
वाह जोगेश्वर जी मजा आ गया
शोभनं...... वेरी नाइस- डॉ० डंडा लखनवी
शोभनं...... वेरी नाइस- डॉ० डंडा लखनवी
thandi thandi pavan bahe
us nadiya ki teer ghazal .......
:)
malamal ho gaya is blog pe... :)
इण ग़ज़ल में ग़ज़ल ज्यूं अलेखूं रुपां में नर्तन करै।
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