दुनिया आनी-जानी है
चिपके तो नादानी है
सारे पंडित ज्ञानी है
इक तू ही अज्ञानी है
कबीरा क्या समझाएगा
यह दुनिया दीवानी है
अमृत ज़हर ज़हर अमृत
मीरा तो मस्तानी है
हर चेहरे पर आँखें दो
आँखें हैं तो पानी है
कभी छाछ से काम चला
रोज कहाँ गुड-धानी है
इसकी उसकी बात अलग
अपनी अलग कहानी है
मेरे बचपन की यादें
इक प्यारी सी नानी है
"जोगेश्वर" जाना निश्चित
बस बातें रह जानी है
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6 comments:
कभी छाछ से काम चला
रोज कहाँ गुड-धानी है
-बहुत सही!
वह साहब ! क्या खूब कही आपने ...आभार !!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
शोभनम
गजल की छोटी बहर में गंभीर बातों को बहुत सलीके से व्यक्त किया है आपने।
-सद्भावी -डा० डंडा लखनवी
kya baat hai sirji gazzab ka likha hai
congrats!
dear jogeswarji kment mdration laga hai isliye likh raha hn varanaa n likhatalog naraaj ho jate hai
gazalachi hai par bahar ladkhadxa rhi ai
दुनिया आनी-जानी है
दुनिया आनी-जानी है
चिपके तो नादानी है
सारे पंडित ज्ञानी है
इक तू ही [बस]अज्ञानी है-ऐसे करने से बसज्ञानी वज्न हो जाएअगा
कबीरा क्या समझाएगा
१२२ होने से बहर बिगड
दास कबीरा कहता है
यार कबीरा कहता है
यह दुनिया दीवानी है
अमृत ज़हर ज़हर अमृत
२ २ १२ १२ २२
फ़र्क जहर अमृत क्या जाने [न समझे]मेंजाने?-
मीरा तो मस्तानी है
हर चेहरे पर आँखें दो
आँखें हैं तो पानी है--सुन्दर शे‘र है
कभी छाछ से काम चला
आज चला काम छाछ से
रोज कहाँ गुड-धानी है
इसकी उसकी बात अलग
अपनी अलग कहानी है
मेरे बचपन की यादें
इक प्यारी सी नानी है
"जोगेश्वर" जाना निश्चित
बस बातें रह जानी है
आशा है अन्यथा न लेंगे
http://gazalkbahane.blogspot.com/
jogeshwar jaanaa nishchit hai bas baat rah jaani hai ,bahut hi achchhaa likhaa hai dil baag baag ho gyaa se bhaai
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