Subscribe

RSS Feed (xml)

Powered By

Skin Design:
Free Blogger Skins

Powered by Blogger

Saturday, 27 February 2010

बुरा न मानो होली है

उन्हें सख्त परहेज है हम को भाये रंग 
वो भी हमसे तंग हैं हम भी उनसे तंग 


कैसे होली खेलिए सुंदरियों के संग 
हम हाथी की चाल हैं वो हिरनी के ढंग 


बालों में बेकार अब महँगा काला रंग 
सांस फूल चुगली करे कैसे लगिए यंग 


मनमोहन मारे हमें प्रणब-सोनिया संग 
महंगाई की मार ने होली की बदरंग 


महंगी हुई मिठाइयां महंगे सारे रंग 
अब बस में किसके रही होली की हुड़दंग 

4 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया!!


ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
गले लगा लो यार, चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

रानीविशाल said...

satik aur sarthak baate rakhi aapane is rachana ke madhyam se....Dhanywaad!
Holi ki shubhkaamnae!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

वीनस केसरी said...

बगैर रदीफ के होली पर शानदार गजल
यंग का काफिया भी खूब बैठाया आपने

हा हा हा

होली की हार्दिक शुभकामनाएं

तिलक राज कपूर said...

वाह साहब, समॉं बॉंध दिया आपके दोहों ने। जनता के दर्द का अच्‍छा एहसास है आपको। जोगेश्‍वर भाई आप भी कहॉं हिरनियों के पीछे पड़े हैं, कोइ्र गजगामिनी तलाश लें।