करे हैं रंग का बू का सभी व्यापार होली में
मुहब्बत कम से कमतर हो रही हर बार होली में
न थापें चंग पर ना गालियाँ ना गीत अब बाकी
कभी गलियाँ मुहल्ले थे बहुत गुलजार होली में
हमारे जिस्म की मज़बूतियाँ बेकार हैं यारों
हमारी सोच ही जब हो रही बीमार होली में
कभी लगते रहे सारे पराये भी हमें अपने
अभी अपने नहीं करते हमें क्यों प्यार होली में
कभी हम जीत आये दिल कभी दिल हार भी आये
मुहब्बत था कभी सबसे बड़ा हथियार होली में
कभी हम रंग ले आये कभी खुशबू चुरा लाये
बचा कर फूल ले आये जला कर खार होली में
लबादा ओढ़ "जोगेश्वर" शराफत का सदा डोले
कभी तो बेखुदी में भूल कर स्वीकार होली में
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3 comments:
वाह जोगेश्वर जी, क्या खूब बॉंधा है आपने ये प्यार होली में। अच्छे कटाक्ष हैं। आनंद आ गया। सारे शेर मेरी पसंद की ज़मीन से हैं।
कभी हम जीत आये दिल कभी दिल हार भी आये
मुहब्बत था कभी सबसे बड़ा हथियार होली में
बहुत खूब
मकता भी बहुत पसंद आया
बहुत खूब कही, वाह!
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
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