काँटों को सहना होगा कुछ फूल सजाने की खातिर
ऊंची सी दीवार खींच दो बंटवारा करने वालों
पतली गली छोड़ कर रखना आने जाने की खातिर
दाने दाने पर दाता ने नाम लिखा है फिर भी क्यों
दुनिया भर में जंग छिड़ी है दाने दाने की खातिर
इक मंदिर की चौखट पर तुम घी का दीप जला आये
खून जलाया मैंने घर घर दीप जलाने की खातिर
पांवों में चक्कर है मेरे या ग्रह-गोचर गड़बड़ है
सारी दुनिया घूम चुका हूँ एक ठिकाने की खातिर
समझाया ललचाया मुझको धमकाया उलझाया भी
कितने तीर चलाये उसने एक निशाने की खातिर
"जोगेश्वर" को छोड़ दिया है सबने कह कर दीवाना
तुम क्यों चिंतित उत्कंठित हो उस दीवाने की खातिर
3 comments:
ऊंची सी दीवार खींच दो बंटवारा करने वालों
पतली गली छोड़ कर रखना आने जाने की खातिर
-बेहतरीन!!
क्या क्या करना पड़ता है एक फ़र्ज़ निभाने की खातिर ....
दुनिया भर में जंग छिड़ी है दाने की खातिर जबकि दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम ..
सुन्दर प्रस्तुति ...!!
इक मंदिर की चौखट पर तुम
घी का दीप जला आये
खून जलाया मैंने घर घर दीप जलाने की खातिर
समझाया ललचाया मुझको धमकाया उलझाया भी कितने तीर चलाये उसने एक निशाने की खातिर
"जोगेश्वर" को छोड़ दिया है सबने कह कर दीवाना तुम क्यों चिंतित उत्कंठित हो उस दीवाने कीखातिर
ऐसे नायाब अश`आर के हवाले से
दिल के उम्दा और मेआरी खयालात
का खूबसूरत इज़हार करने वाले शाईर को
मुफ़लिस का पुर-ख़ुलूस आदाब,,,नमस्कार,,,सलाम
अभिवादन .
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