किस्से और कहानी भी
दिल में और जुबानी भी
गया बुढापा सुना कभी
लौटी कभी जवानी भी
कठमुल्ले समझेंगे क्या
कबीरा तेरी वाणी भी
बढ़ कर सौ सैलाबों से
आँखों वाला पानी भी
लगे हकीक़त जैसी क्यों
दुनिया आनी जानी भी
कुछ मेरा दीवानापन
कुछ उनकी मनमानी भी
"जोगेश्वर" को छोडो पर
ढूंढो उसका सानी भी
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2 comments:
"जोगेश्वर" को छोडो पर
ढूंढो उसका सानी भी
वाह गजब की बात जोगेश्वर जी ....
वाह भाई वाह!!
बहुत खूब!!
’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
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