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Monday, 22 March 2010

अवतारों के उपदेशों का

अवतारों के उपदेशों का सब ग्रंथों का सार यही है 
ढाई आखर पढ़ ले बन्दे कबीरा तूने खूब कही है 


सागर सूखा और हिमालय डूब गया गहराई में 
कैसे समझाऊँ मैं यारों कैसी उल्टी धार बही है 


धरती डोली अम्बर कांपा तूफां चारों ओर मचा है 
जब भी कोई दिल टूटा है जब दिल की दीवार ढही है 


धन-दौलत और महल-अटारी कम होंगे पर चैन बहुत है 
जिसको हार समझते हैं सब सच पूछो तो जीत वही है 


"जोगेश्वर" घबराना छोडो और भरोसा रखो हमेशा 
वक़्त बताएगा दुनिया को कौन गलत है कौन सही है 

3 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत सार्थक रचना!

हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.

ओम पुरोहित'कागद' said...

आदरजोग जोगेश्वर जी
जय राजस्थान!
जय राजस्थानी !!
आप री रचना 'अवतारोँ के उपदेश का' पढी अर दाय आई ।बधाई!
*आप लारलै दिनां हनुमानगढ़ आया जणां आप रै सनमान हुई काव्यगोष्ठी मे भी आप जोरदार ग़ज़लां पढ़ी।म्हारो कैवण रो मतलब ओ कै आप राजनीति जेड़ै काम मेँ अळूझिया थका भी सांतरो सिरजण करो। *आप मायड़ भाषा राजस्थानी मेँ भी मोकळो लिख्यो है पण इन ब्लाग माथै कमती क्यूं?आप तो मायड़ भाषा नै 8 वीँ अनुसूची मेँ जोड़ावण री खेचळ भी कर रैया हो! राजस्थानी भाषा राजमानता आंदोलन रा आप आगीवाण हो।आप माथै रास्थान्यां नै गुमान है। आपणी राजस्थानी भाषा मेँ भी आवण द्यो कीँ रचनावां।
*भळै हनुमानगढ़ पधारो भळै जाजम बिछावां!
*म्हारै ब्लागड़ै माथै ई पधारो!
omkagad.blogspot.com

वीनस केसरी said...

"जोगेश्वर" घबराना छोडो और भरोसा रखो हमेशा
वक़्त बताएगा दुनिया को कौन गलत है कौन सही है


केवल एक शब्द - उम्दा