मारवाड़ रियासत के सिरमौर प्रखर स्वामी-भक्त अजेय योद्धा वीर शिरोमणी दुर्गा दास राठोड की आज ३७१ वीं जयंती है। उनके सम्मान में प्रस्तुत है काव्यांजलि:
कुलदीपक करनोत के, आसकरण की आस।
श्रावण शुक्ला चतुर्दशी, प्रकटे दुर्गा दास।
वीरगति जसवंत की, जब काबुल के पास।
जिम्मेदारी अजीत की, समझे दुर्गा दास।
भेष भरोसे ने धरा, साक्षात विश्वास।
स्वाभिमानी स्वामिभक्त, ऐसे दुर्गा दास।
जीवन भर करते रहे, फ़र्ज़-अदाई ख़ास।
कष्टों को सहते रहे, पग-पग दुर्गा दास।
जिसकी रक्षा के लिए, ली जीवन भर साँस।
उससे अपमानित हुए, आख़िर दुर्गा दास।
उज्जैनी नगरी बसी, क्षिप्रा तट के पास।
मारवाड़ गौरव वहाँ, सोया दुर्गा दास।
होम दिए जिसके लिए, जीवन के मधुमास।
उस मरुधर ने क्या दिया, पूछे दुर्गा दास।
3 comments:
Durga das ji ke prati aapke bhaav saraahneey hain.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
जन्मभूमि पर होम हुए, योद्धा दुर्गादास
नमन करेगी पीढियां, गायेगी इतिहास
जो वीरों की शान में, गढ़ते ग़ज़लें-गान
जोगेश्वर की लेखनी, का करता सम्मान
जन्मभूमि पर होम हुए, योद्धा दुर्गादास
नमन करेगी पीढियां, गायेगी इतिहास
जो वीरों की शान में, गढ़ते ग़ज़लें-गान
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