ख़्वाबों की गठरी मत खोल
करना है कर कुछ मत बोल
जितना शोर मचाये ढोल
भीतर उसके उतनी पोल
मैंने सीखा यही भूगोल
अम्बर चौड़ा धरती गोल
वक्त बड़ा ही नाजुक यार
खुल जाए कब किसकी पोल
याद कबीरा आए आज
ढाई आखर हैं अनमोल
मीठी गोली देना सीख
पिला नहीं तू कड़वा घोल
"जोगेश्वर" जग जैसा बन
चिकना-चुपड़ा गोल-मटोल
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2 comments:
मीठी गोली देना सीख
पिला नहीं तू कड़वा घोल
मेरे ही दिल की बात है.अगर आप की नसीहत मानलूं तो मेरी जिन्दगी भी संवर सकती है.
जितना शोर मचाये ढोल
भीतर उसके उतनी पोल
-बिल्कुल सही!!
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