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Monday, 31 May 2010

जब कभी की नहीं खता मैंने

जब कभी की नहीं खता मैंने
खूब पायी तभी सज़ा मैंने

आपने सुन लिया वही सब कुछ
जो कभी भी नहीं कहा मैंने

क्या शिकायत करुँ ज़माने की
आप भी हैं खफा सुना मैंने

आप भी तो कभी सुनें मेरी
आप को उम्र भर सुना मैंने

आ गया मैं तभी निशाने पर
आप को ज़िंदगी कहा मैंने

आपको देख लूं कि सुन ही लूं
यूं करी रोज इब्तिदा मैंने

राज़ को राज़ तुम रखोगे क्या
आपको तो दिया बता मैंने

कुछ न पक्का बता सका कोई
खूब पूछा तेरा पता मैंने

ग़ज़ल "जोगेश्वर" न बनी यूं ही
जो कि भुगता सहा लिखा मैंने

Saturday, 29 May 2010

जैसे ख्वाब दिखाए तूने

जैसे ख्वाब दिखाए तूने वैसी अब ताबीरें दे
मेरी आँखों में बस जाए ऐसी कुछ तस्वीरें दे

और मुझे कुछ दे या ना दे मौला तेरी मर्जी है
दानिशमंदी की दौलत दे हिम्मत की जागीरें दे

राम भरोसे मुल्क हमारा जो होगा अच्छा होगा
नेता से उम्मीद यही बस अच्छी सी तक़रीरें दे

जब चाहूँ तब बातें तुझसे जब चाहूँ दीदार तेरा
मेरे हाथों में भी मालिक ऐसी चंद लकीरें दे

मेरे हिस्से की खुशियाँ सब मेरे अपनों में बांटो
और मुझे झोली भर-भर के उन अपनों की पीरें दे

जीवन के इस महा समर में अभी बहुत लड़ना बाकी
दिल में खूब हौसला भर दे हाथों में शमशीरें दे

मन तेरा चंचल "जोगेश्वर" इसे भटकने से रोको
तगड़े-तगड़े ताले जड़ दे मोटी-सी जंजीरें दे

Friday, 28 May 2010

फूल मत तू

फूल मत तू सफलता की हाथ चाबी देख कर
लोग तो जलते रहेंगे कामयाबी देख कर

Thursday, 27 May 2010

मिले मज़बूत को मज़बूतियाँ हर पल सहारे भी

मिले मज़बूत को मज़बूतियाँ हर पल सहारे भी 
उन्हें हासिल हमेशा ही निगाहें भी नज़ारे भी 

Wednesday, 26 May 2010

ये पुरानी बात है

सब सही था ये पुरानी बात है
आज बेकाबू बहुत हालात है

Sunday, 16 May 2010

कहूं शाम इसको कहूं या सवेरा

कहूं शाम इसको कहूं या सवेरा 
कभी है उजाला कभी फिर अन्धेरा 

Saturday, 15 May 2010

श्रद्धांजलि

भैरों सिंह जी आप थे जन-जन का विश्वास 
निज जीवन से आपने रचा नया इतिहास 

रचा नया इतिहास भूल कैसे हम जाएँ 
सीख सीख कर आपसे अपना फ़र्ज़ निभाएं 

पहले तो प्रत्यक्ष थे अब केवल आभास 
भैरों सिंह जी आप थे जन-जन का विश्वास 

(श्रद्धेय भैरों सिंह जी शेखावत, पूर्व उपराष्ट्रपति, भारत सरकार एवं पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार का आज स्वर्गवास हो गया. दिवंगत को अश्रु-पूरित श्रद्धांजलि !)


Friday, 14 May 2010

जो बन्दा बिंदास रे जोगी

जो बन्दा बिंदास रे जोगी 
दुनिया उसकी दास रे जोगी 

Monday, 10 May 2010

किसी को बना दे किसी को मिटा दे

किसी को बना दे किसी को मिटा दे 
खुदा है कि क्या है मुझे तू बता दे 

Thursday, 6 May 2010

रौशनी कर

रौशनी कर 
घर जला कर

Saturday, 1 May 2010

सब मुझको समझायेंगे

सब मुझको समझायेंगे 
फिर तुमको बहलाएँगे