जब कभी की नहीं खता मैंने
खूब पायी तभी सज़ा मैंने
आपने सुन लिया वही सब कुछ
जो कभी भी नहीं कहा मैंने
क्या शिकायत करुँ ज़माने की
आप भी हैं खफा सुना मैंने
आप भी तो कभी सुनें मेरी
आप को उम्र भर सुना मैंने
आ गया मैं तभी निशाने पर
आप को ज़िंदगी कहा मैंने
आपको देख लूं कि सुन ही लूं
यूं करी रोज इब्तिदा मैंने
राज़ को राज़ तुम रखोगे क्या
आपको तो दिया बता मैंने
कुछ न पक्का बता सका कोई
खूब पूछा तेरा पता मैंने
ग़ज़ल "जोगेश्वर" न बनी यूं ही
जो कि भुगता सहा लिखा मैंने
Monday, 31 May 2010
Saturday, 29 May 2010
जैसे ख्वाब दिखाए तूने
जैसे ख्वाब दिखाए तूने वैसी अब ताबीरें दे
मेरी आँखों में बस जाए ऐसी कुछ तस्वीरें दे
और मुझे कुछ दे या ना दे मौला तेरी मर्जी है
दानिशमंदी की दौलत दे हिम्मत की जागीरें दे
राम भरोसे मुल्क हमारा जो होगा अच्छा होगा
नेता से उम्मीद यही बस अच्छी सी तक़रीरें दे
जब चाहूँ तब बातें तुझसे जब चाहूँ दीदार तेरा
मेरे हाथों में भी मालिक ऐसी चंद लकीरें दे
मेरे हिस्से की खुशियाँ सब मेरे अपनों में बांटो
और मुझे झोली भर-भर के उन अपनों की पीरें दे
जीवन के इस महा समर में अभी बहुत लड़ना बाकी
दिल में खूब हौसला भर दे हाथों में शमशीरें दे
मन तेरा चंचल "जोगेश्वर" इसे भटकने से रोको
तगड़े-तगड़े ताले जड़ दे मोटी-सी जंजीरें दे
मेरी आँखों में बस जाए ऐसी कुछ तस्वीरें दे
और मुझे कुछ दे या ना दे मौला तेरी मर्जी है
दानिशमंदी की दौलत दे हिम्मत की जागीरें दे
राम भरोसे मुल्क हमारा जो होगा अच्छा होगा
नेता से उम्मीद यही बस अच्छी सी तक़रीरें दे
जब चाहूँ तब बातें तुझसे जब चाहूँ दीदार तेरा
मेरे हाथों में भी मालिक ऐसी चंद लकीरें दे
मेरे हिस्से की खुशियाँ सब मेरे अपनों में बांटो
और मुझे झोली भर-भर के उन अपनों की पीरें दे
जीवन के इस महा समर में अभी बहुत लड़ना बाकी
दिल में खूब हौसला भर दे हाथों में शमशीरें दे
मन तेरा चंचल "जोगेश्वर" इसे भटकने से रोको
तगड़े-तगड़े ताले जड़ दे मोटी-सी जंजीरें दे
Friday, 28 May 2010
Thursday, 27 May 2010
मिले मज़बूत को मज़बूतियाँ हर पल सहारे भी
मिले मज़बूत को मज़बूतियाँ हर पल सहारे भी
उन्हें हासिल हमेशा ही निगाहें भी नज़ारे भी
उन्हें हासिल हमेशा ही निगाहें भी नज़ारे भी
Wednesday, 26 May 2010
Sunday, 16 May 2010
Saturday, 15 May 2010
श्रद्धांजलि
भैरों सिंह जी आप थे जन-जन का विश्वास
निज जीवन से आपने रचा नया इतिहास
रचा नया इतिहास भूल कैसे हम जाएँ
सीख सीख कर आपसे अपना फ़र्ज़ निभाएं
पहले तो प्रत्यक्ष थे अब केवल आभास
भैरों सिंह जी आप थे जन-जन का विश्वास
(श्रद्धेय भैरों सिंह जी शेखावत, पूर्व उपराष्ट्रपति, भारत सरकार एवं पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार का आज स्वर्गवास हो गया. दिवंगत को अश्रु-पूरित श्रद्धांजलि !)
Friday, 14 May 2010
Monday, 10 May 2010
Thursday, 6 May 2010
Saturday, 1 May 2010
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