किसी को बना दे किसी को मिटा दे
खुदा है कि क्या है मुझे तू बता दे
अगर है मुहब्बत किसी दिन जता दे
कभी देख मुझको ज़रा मुस्कुरा दे
मिटा दो रिवाजों को रस्मों को यारों
मुहब्बत करे और फिर भी दगा दे
दिला दे हमें याद फिर वो ज़माना
किसी दिन तराना वही फिर सुना दे
चलो प्यार की इन्तेहा यूं दिखायें
रुला दूं तुझे मैं मुझे तू रुला दे
तरीका तुझे क्यों बताया किसीने
किसी के गुनाहों की मुझको सजा दे
फ़रिश्ते रहें क्यों भला बीच में अब
मुझे तू बुला ले गले से लगा दे
खुदा से मिलन चाहता है अगर तू
खुदी "जोगेश्वर" अपनी पहले मिटा दे
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3 comments:
बेहतरीन!! आनन्द आया.
bahut achchi rachana ...aapse bahut kuch seekhne ko mil raha hai !!!
किसी को बना दे किसी को मिटा दे
खुदा है कि क्या है मुझे तू बता दे
फ़रिश्ते रहें क्यों भला बीच में अब
मुझे तू बुला ले गले से लगा दे
वाह गर्ग साहब वाह...बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने...मतले से मकते तक अच्छे शेर कह गए हैं आप...आपके मतले से मिलता जुलता शेर मैंने अपनी एक मुम्बैया ज़बान की ग़ज़ल में कहा था...
जब जी चाहे टपका दे
रब तो है इक डान भिडू
पूरी ग़ज़ल पढने के लिए यहाँ चटका लगायें:-
http://ngoswami.blogspot.com/2009/11/blog-post_16.html
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