जो बन्दा बिंदास रे जोगी
दुनिया उसकी दास रे जोगी
इतना ध्यान हमेशा रखना
कौन बना क्यों ख़ास रे जोगी
ज्ञान-समंदर उतना गहरा
जितनी जिसकी प्यास रे जोगी
भौंचक अवध समझ नहीं पाया
कौन गया वनवास रे जोगी
किसको राज मिला है देखो
कौन गया बनवास रे जोगी
दुनियादारी ढोते ढोते
फूली अपनी श्वास रे जोगी
जीवन भर की उपलब्धि है
इक ठंडी निश्स्वास रे जोगी
इसका उसका किस किस का तू
कर बैठा विश्वास रे जोगी
ज़ाहिर जोगी भीतर भोगी
ये कैसा संन्यास रे जोगी
जिसको खुद पर खूब भरोसा
ईश्वर उसके पास रे जोगी
"जोगेश्वर" को भूल न जाना
इतनी सी अरदास रे जोगी
(श्री राहत इन्दोरी की ग़ज़ल के मिसरे "कौन गया वनवास रे जोगी" पर तरही का आयोजन हुआ था जिस पर मेरी यह ग़ज़ल आज ही www.aajkeeghazal.blogspot.com पर पोस्ट हुयी है.)
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6 comments:
इतना ध्यान हमेशा रखना
कौन बना क्यों ख़ास रे जोगी
ज्ञान समंदर उतना गहरा
जितनी जिसकी प्यास रे जोगी
वाह ये भी कमाल ही है अभी अभी मुशायरे से ही आ रहा हूँ
दिल खुश हो गया जोगी शब्द के साथ लिखना, वाह
बस मन झूम रहा है
इसका उसका किस किस का तू
कर बैठा विश्वास रे जोगी
क्या सच लिख डाला है ,, वाह
जो शेर पेस्ट किया है ये भी वही का कॉपी किया हुआ है :)
जो बन्दा बिंदास रे जोगी
दुनिया उसकी दास रे जोगी
बिल्कुल सही!! उम्दा बात!
ज्ञान-समंदर उतना गहरा
जितनी जिसकी प्यास रे जोगी
ये ग़ज़ल सतपाल जी के ब्लॉग पर कल पढ़ी थी लेकिन ये इतनी दिलकश है के इसे जितनी बार भी पढ़ा जाए मन नहीं भरता...क्या शेर कहे हैं आपने गर्ग जी वाह...वा...कमाल कर दिया भाई जी कमाल...
नीरज
kamal hai....ye jogi kamaal hai ...behad shandar ghazal hai .. :)
भाई साहेब आपके लेखनी की होड़ तो हो नहीं सकती ,ताज्जुब होता है ,आप इतने व्यस्त जीवन में लेखन के लिए वक्त कैसे निकल पाते है ,मेरा ब्लॉग का अनुसरण कर मेरा मान बढ़ाने के लिए धन्यवाद .
"Gyan samander utna gahra
jitni jiski pyas re jogi"
Yogeshwar ji itne kum shabdo me aap
kahan le gayey. Jiyo dost.
Ravi Kamra
Jaipur
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