जैसे ख्वाब दिखाए तूने वैसी अब ताबीरें दे
मेरी आँखों में बस जाए ऐसी कुछ तस्वीरें दे
और मुझे कुछ दे या ना दे मौला तेरी मर्जी है
दानिशमंदी की दौलत दे हिम्मत की जागीरें दे
राम भरोसे मुल्क हमारा जो होगा अच्छा होगा
नेता से उम्मीद यही बस अच्छी सी तक़रीरें दे
जब चाहूँ तब बातें तुझसे जब चाहूँ दीदार तेरा
मेरे हाथों में भी मालिक ऐसी चंद लकीरें दे
मेरे हिस्से की खुशियाँ सब मेरे अपनों में बांटो
और मुझे झोली भर-भर के उन अपनों की पीरें दे
जीवन के इस महा समर में अभी बहुत लड़ना बाकी
दिल में खूब हौसला भर दे हाथों में शमशीरें दे
मन तेरा चंचल "जोगेश्वर" इसे भटकने से रोको
तगड़े-तगड़े ताले जड़ दे मोटी-सी जंजीरें दे
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5 comments:
क्या बात है ,,,वाह ! फिर से तीर निशाने पर ....बहुत खूब ....
nice
जज्बातों को बयां करती बेहतरीन गजल...नेताओं से तकरीरे, हाथ में चन्द लकीरे, अपनों की पीरें,मन में हौसला हाथ में शमशीर,चंचल मन के लिए ताले व जंजीर.....कितना तारत्म्य व गजब का सौन्दर्य निहित है इनमें.....नया भाव-बोध व नये सौन्दर्य-बोध के साथ मानवीय मूल्यों की तलाश में हृद्य की गहराई से निकली बेहतरीन गजल...शुभकामनाएं.....अपना श्रेष्ठ सृजन अनवरत रखे।
मेरे हिस्से की खुशियाँ सब मेरे अपनों में बांटो
yaha dil le liya aap ne hamara
ab wah ! wah ! wah ! wah ! hi kaha ja sakta he
राम भरोसे मुल्क हमारा जो होगा अच्छा होगा
नेता से उम्मीद यही बस अच्छी सी तक़रीरें दे
बहुत खूब
मक्ता भी बहुत पसंद आया
97 :)
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