Subscribe

RSS Feed (xml)

Powered By

Skin Design:
Free Blogger Skins

Powered by Blogger

Saturday 1 May, 2010

सब मुझको समझायेंगे

सब मुझको समझायेंगे 
फिर तुमको बहलाएँगे 

उलझी खूब पहेली है 
कौन इसे सुलझाएंगे 

होली पर भी कुछ पागल 
दीवाली के गायेंगे 

समझेगा भी कौन यहाँ 
किस किस को समझायेंगे 

जीती बाज़ी हारेंगे 
अहम् जहां टकरायेंगे 

पढ़े नहीं जो कभी कहीं 
वो भी पाठ पढ़ाएंगे 

सदियों से सहते आये 
और नहीं सह पायेंगे 

आग बुझाने वाले सुन 
वो फिर आग लगायेंगे 

"जोगेश्वर" को तीर लगें 
फिर भी ग़ज़ल सुनायेंगे 

11 comments:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत खूब गर्ग जी, बढ़िया रचना है ... सारी पंक्तियाँ अच्छी है ... बस चौथी पंक्ति 'कौन इसे सुलझाएंगे' कुछ जम नहीं रही है ...

पढ़े नहीं जो कभी कहीं
वो भी पाठ पढ़ाएंगे
आग बुझाने वाले सुन
वो फिर आग लगायेंगे

वाह वाह ! क्या बात है !

हरकीरत ' हीर' said...

पढ़े नहीं जो कभी कहीं
वो भी पाठ पढ़ाएंगे

ये सही कही आपने .....!!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

लिखते गीत ग़ज़ल बढ़िया,
एक बात बतलाएंगे ?

राजस्थानी - रचनाएं
किस दिन आप पढ़ाएंगे ?

जोगेश्वरजी ,सच बोलें!
अब कितना तरसाएंगे ?

… … … … …

मेल मिली है अभी अभी ,
हम भी राज़ छुपाएंगे !

बात मेरी जब रख लोगे ,
ख़ुश हो' शोर मचाएंगे !!

-राजेन्द्र स्वर्णकार

वीनस केसरी said...

बड़ा कांट छाट के ये चार शेर निकाले जो ज्यादा पसंद आये
गजल ६ बार पढनी पडी :)

उम्दा बात
छोटी बहर तो मेरी कमजोरी ही है


सब मुझको समझायेंगे
फिर तुमको बहलाएँगे

होली पर भी कुछ पागल
दीवाली के गायेंगे

पढ़े नहीं जो कभी कहीं
वो भी पाठ पढ़ाएंगे

"जोगेश्वर" को तीर लगें
फिर भी ग़ज़ल सुनायेंगे

स्वप्निल तिवारी said...

achhi ghazal :) ...

ओम पुरोहित'कागद' said...

तीर लगने पर भी आप रुकने वाले नहीँ है।जबरदस्त जज़बा है।अच्छी रचना के लिए बधाई हो गर्ग साहिब!

ZEAL said...

फिर भी ग़ज़ल सुनायेंगे....

beautiful !

Shekhar Kumawat said...

bahut achi rachna



"जोगेश्वर" को तीर लगें
फिर भी ग़ज़ल सुनायेंगे


badhai aap ko

किरण राजपुरोहित नितिला said...

बेहतरीन ग़ज़ल.

देवेन्द्र सुथार said...

भाई साहेब मेरे ब्लॉग पर भी फोटोग्राफी देखने के लिए पधारे -www.devendrasuthar.blogspot.com

कोसलेंद्रदास said...

Aanand aa gaya.
Kosalendradas