टेढी मेढी चाल सितारे छोड़ सकें तो अच्छा है
या फिर हम उन चालों का रुख मोड़ सकें तो अच्छा है
विश्वासों में खूब दरारें नफ़रत की दीवारें भी
ऐसे में हम दिल को दिल से जोड़ सकें तो अच्छा है
धुल न जाएँ अक्षर सारे दर्द समेटे इस ख़त के
आंसू के इस दरिया का रुख मोड़ सकें तो अच्छा है
आओ हम विश्वास जगाएं कमजोरों के भी दिल में
बैसाखी को छोडें सरपट दौड़ सकें तो अच्छा है
अहम् वहम अभिमान अदावत नफ़रत गुस्सा साजिश भी
बदरंगे इन गुब्बारों को फोड़ सकें तो अच्छा है
"जोगेश्वर" अभिमन्यु हो यह इच्छा है कुछ यारों की
अर्जुन बन हर चक्रव्यूह को तोड़ सकें तो अच्छा है