तो मुसीबतजदा नहीं होता
बारहा हादसा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता
कर रहे थे उसे सभी सज़दे
कोई कैसे खुदा नहीं होता
रोज तूफ़ान भी तलातुम भी
कब यहाँ ज़लज़ला नहीं होता
बर नहीं आ रही मेरी कोशिश
उन तलक सिलसिला नहीं होता
रोज होती रही बहस कितनी
हाँ मगर फैसला नहीं होता
सितम की इन्तेहा हुयी मुझ पर
फिर भी उनसे गिला नहीं होता
पस्त होती यहाँ तभी मुश्किल
पस्त जब हौसला नहीं होता
क्यों हुआ कमनसीब "जोगेश्वर"
क्यों कभी भी नफ़ा नहीं होता
1 comment:
jyada achcha hota yadi urdu shabdon ka hindi arth ya samanarthee shabd diya hota.
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