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Tuesday, 16 June 2009

तौबा करले

रिश्तों को उलझाने से तौबा करले
दिल को और दुखाने से तौबा करले

या तो ख़्वाबों की ताबीर फ़टाफ़ट दे
या फिर ख्वाब दिखाने से तौबा करले

आग बुझाना तेरे बस की बात नहीं
तू बस आग लगाने से तौबा करले

तेरे सारे राज़ हो गए जग-जाहिर
अब तू राज़ छुपाने से तौबा करले

कर सकता है तो कुछ करके दिखा ज़रा
वरना बात बनाने से तौबा करले

आकर करले मदद अगर कुछ बस में हो
दूर खडा मुस्काने से तौबा करले

"जोगेश्वर" की अर्ज़ ज़रा सी सुनले तू
उसको और सताने से तौबा करले

2 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत खूब, जनाब!!

वीनस केसरी said...

कर सकता है तो कुछ करके दिखा ज़रा
वरना बात बनाने से तौबा करले

बहुत खूब शेर कहाँ है


"जोगेश्वर" की अर्ज़ ज़रा सी सुनले तू
उसको और सताने से तौबा करले


इस शेर को पढ़ कर लगा अगर इस तरह पढ़ा जाये तो ज्यादा आनंद आएगा


"जोगेश्वर" की अर्ज़ ज़रा सी सुनले तू
मुझको और सताने से तौबा करले

venus kesari