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Saturday, 6 June 2009

उनके गुस्से से घबरा मत

उनके गुस्से से घबरा मत कर मत रंज सजा पर तू  
उनकी नज़रें हर पल तुम पर खुश रह इसी बिना पर तू 

इतनी अकड़ दिखा मत उनको तेरी क्या औकात भला 
लट्टू होकर लुट जाएगा उनकी एक अदा पर तू 

जांच किसी दिन उनको तेरी याद कभी आती भी है 
रक्षक बन बरसों से बैठा जिनकी विजय-ध्वजा पर तू 

मंगल-चाँद-शनी तक जाओ घूमो अन्तरिक्ष सारा 
लेकिन पाँव टिका कर रखना ए इंसान धरा पर तू 

कुछ पल और रहेगी खुशबू रंग रहेंगे कुछ दिन तक 
मंत्र-मुग्ध हो बैठा पागल जिस रंगीन फिजा पर तू 

सबकी अपनी सीमाएं हैं मुश्किल भी मज़बूरी भी 
जितना संभव उतना करले बाकी छोड़ खुदा पर तू 

ऊंची बातें कर लेने दे ऊंचे ऊंचे लोगों को 
"जोगेश्वर" इतना कर लेना रहना अटल वफ़ा पर तू

1 comment:

वीनस केसरी said...

सबकी अपनी सीमाएं हैं मुश्किल भी मज़बूरी भी
जितना संभव उतना करले बाकी छोड़ खुदा पर तू

जोगेश्वर
आपकी गजलगोई दिन प्रतिदिन निखरती जा रही है
वीनस केसरी