सच कहा तो हो गया सीना सवाया फूल कर
इस ज़माने की नज़र में वह हिमाक़त थी मगर
आजमाता है हमारे सब्र को यह आसमां
कर दुआ फ़िर देख रुक कर उन दुआओं का असर
क्या भला होगा हमारा सोचिये इस हाल में
हम सदा जिनके भरोसे वे हमेशा बेखबर
भूल जायेगा तुझे कुछ रोज़ में सारा जहाँ
याद रहना है अगर तो कुछ अनोखा कर गुज़र
पूछिए जाकर कभी क्या हाल है उनका जिन्हें
राह पथरीली मिली हो और हो लंबा सफर
सोचता है आज सूरज क्या मिला जल कर उसे
चाँद ने क्या पा लिया है रात सारी जाग कर
आज "जोगेश्वर" अचंभित और है हैरान भी
देखना क्या चाहता था आ रहा है क्या नज़र
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