बैद-हकीम-चिकित्सक सारे खुद शामिल बीमारों में
ताज किया तामीर कटे वो हाथ यहाँ बेदर्दी से
जंग छिडी है ताजमहल की रौनक के हकदारों में
हैरत में है खुद सौदागर हाल वतन का क्या होगा
कैसे कैसे लोग खड़े है बिकने को बाज़ारों में
मेरा उनतक उनका मुझतक संदेशा पहुंचे कैसे
जोश कौन भर पायेगा इन उदासीन हरकारों में
रुके नहीं जो झुके नहीं जो अटल रहे हर मौसम में
फांसी पर लटकाया उनको चुनवाया दीवारों में
आम आदमी दर्शक बन कर देखे सब करतूतों को
जोड़-तोड़ भी गुणा-भाग भी सत्ता के गलियारों में
जब चाहे उपयोग करें वो जब चाहे खूंटी धरदें
वे योद्धा हैं महारथी हैं हम उनके हथियारों में
"जोगेश्वर" को एक भरोसा हिम्मत-होश रखो कायम
द्वार खुलेगा कहीं किसी दिन पत्थर की दीवारों में
5 comments:
पर फिरभी कायम है आशा।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
क्या बात है
आम आदमी दर्शक बन कर देखे सब करतूतों को
जोड़-तोड़ भी गुणा-भाग भी सत्ता के गलियारों में |
बहुत सटीक !
हमेशा की तरह की ज्ञान वर्धक पन्ना |
bahut khub
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