उपदेशों की आदेशों की झड़ी लगाने वाले ने
मुझे कहाँ ला छोडा मुझको राह दिखाने वाले ने
दौडो भागो जल्दी आओ पानी लाओ लोगों सब
हल्ला खूब मचाया ख़ुद ही आग लगाने वाले ने
पानी खारा क्यों है कह कर गुस्सा खूब दिखा डाला
मेरे अश्कों के दरिया में रोज़ नहाने वाले ने
हार गले में डाला उसने जंग जीतते ही मेरे
मेरी हार सुनिश्चित कह कर खुशी मनाने वाले ने
काश समझ जाते हम उनकी साजिश को चालाकी को
आँखें बंद कराली पहले ख्वाब दिखाने वाले ने
शबरी सीता और अहिल्या कुंती कुब्जा द्रौपदियां
जाने क्या-क्या व्याख्या कर दी कथा सुनाने वाले ने
"जोगेश्वर" की सूरत में क्यों ढूंढें तू आदर्श भला
कुछ तो खामी छोडी होगी उसे बनाने वाले ने
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2 comments:
Bahut khoobsurat gazal hai .....
har sher dil ko chuta hai...
बहुत बढिया ... बधाई।
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