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Friday, 3 April 2009

उपदेशों की

उपदेशों की आदेशों की झड़ी लगाने वाले ने
मुझे कहाँ ला छोडा मुझको राह दिखाने वाले ने

दौडो भागो जल्दी आओ पानी लाओ लोगों सब
हल्ला खूब मचाया ख़ुद ही आग लगाने वाले ने

पानी खारा क्यों है कह कर गुस्सा खूब दिखा डाला
मेरे अश्कों के दरिया में रोज़ नहाने वाले ने

हार गले में डाला उसने जंग जीतते ही मेरे
मेरी हार सुनिश्चित कह कर खुशी मनाने वाले ने

काश समझ जाते हम उनकी साजिश को चालाकी को
आँखें बंद कराली पहले ख्वाब दिखाने वाले ने

शबरी सीता और अहिल्या कुंती कुब्जा द्रौपदियां
जाने क्या-क्या व्याख्या कर दी कथा सुनाने वाले ने

"जोगेश्वर" की सूरत में क्यों ढूंढें तू आदर्श भला
कुछ तो खामी छोडी होगी उसे बनाने वाले ने

2 comments:

शोभित जैन said...

Bahut khoobsurat gazal hai .....
har sher dil ko chuta hai...

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया ... बधाई।