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Friday, 10 April 2009

पूजिए इंसान को

पूजिए इंसान को कानून हो गया
और फ़िर इंसानियत का खून हो गया

फरवरी थी फूल थे बहार थी लेकिन
आ गयी बारी हमारी जून हो गया

मार किस्मत की लगी दोनों तरफ़ मुझे
थी गरीबी और गीला चून हो गया

आइये उस बात को हम ढूंढ निकालें
प्यार भी आकर जहाँ जुनून हो गया

आज "जोगेश्वर" हुआ खामोश बेजुबान
दोस्त सारे खुश हुए सुकून हो गया

2 comments:

श्यामल सुमन said...

एक तुकबंदी के लिए मैं भी कोशिश करता हूँ-

मिट्टी भरे बदन पे मिट्टी रगड़ रहे है।
मिट्टी का रूप बदला साबून हो गया।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Unknown said...

mind blowing uncle.