पल पल बात बदलना मुश्किल
प्यार मुहब्बत भूल-भुलैया
घुसना सरल निकलना मुश्किल
घुसना सरल निकलना मुश्किल
तुमसे दूर रहा तो जाना
तुमसे दूर निकलना मुश्किल
तुमसे दूर निकलना मुश्किल
अधबीच नींद उचट जाए तो
टूटे स्वप्न संवरना मुश्किल
टूटे स्वप्न संवरना मुश्किल
इस नगरी रपटीली राहें
फिसले पाँव संभलना मुश्किल
फिसले पाँव संभलना मुश्किल
कठिन हुआ अब हद में रहना
हद से पार गुजरना मुश्किल
हद से पार गुजरना मुश्किल
बहुत कठिन है मरना लेकिन
तुम बिन जीना कितना मुश्किल
तुम बिन जीना कितना मुश्किल
हुआ असंभव चुप रहना भी
रोना आहें भरना मुश्किल
रोना आहें भरना मुश्किल
"जोगेश्वर" कुछ जतन करो अब
कश्ती पार उतरना मुश्किल
कश्ती पार उतरना मुश्किल
1 comment:
भाई जोगेश्वर जी, यह रचना चुनाव परिणाम से पहले की है या उसके तुरंत बाद की? कश्ती पार उतरना मुश्क़िल किसे कहा है?
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