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Saturday, 26 December 2009

क्या क्या करना पड़ता है

क्या क्या करना पड़ता है इक फ़र्ज़ निभाने की खातिर 
काँटों को सहना होगा कुछ फूल सजाने की खातिर 

Saturday, 19 December 2009

छोटे से जीवन की खातिर

छोटे से जीवन की खातिर कितने ताम-झाम कर डाले 
आफत-कष्ट-मुसीबत हमने अपनी झोली में भर डाले 

Friday, 13 November 2009

कतारें लगा कर खडा आदमी

कतारें लगा कर खडा आदमी
मुझे भी बना दो बड़ा आदमी

Thursday, 5 November 2009

कब सोचा था

कब सोचा था इतना सब कुछ कर जायेगी
गाय विदेशी अक्ल हमारी चर जायेगी

Thursday, 15 October 2009

टिमटिमाता एक दीपक

टिमटिमाता एक दीपक खूब ताक़तवर हुआ
यह समर तो सिर्फ़ उसके ही भरोसे सर हुआ

Wednesday, 7 October 2009

देखना ये है

ज़माना तो हुआ दुश्मन हमारा देखना ये है
तुम्हारी आँख देती क्या इशारा देखना ये है

Wednesday, 30 September 2009

लोग जो बहरूपिया बन उम्र भर छलते रहे

लोग जो बहरूपिया बन उम्र भर छलते रहे
छा गए दिल पर दिमागों में वही चलते रहे

Monday, 28 September 2009

कदम से कदम जो मिला कर चले

कदम से कदम जो मिला कर चले
वही चोट दिल पर लगा कर चले

Wednesday, 16 September 2009

ख़्वाबों की गठरी मत खोल

ख़्वाबों की गठरी मत खोल
करना है कर कुछ मत बोल

Sunday, 13 September 2009

सोचता हूँ यार मेरी बात पर

सोचता हूँ यार मेरी बात पर
क्यों खफा संसार मेरी बात पर

Wednesday, 9 September 2009

भूल करुँ तो मारे तू

भूल करूं तो मारे तू
फिर वापस पुचकारे तू

Tuesday, 1 September 2009

फिर कोई इल्जाम लगा दीवाने पर

फिर कोई इल्जाम लगा दीवाने पर
फिर है दिल बेचारा आज निशाने पर

Thursday, 27 August 2009

अब कहाँ मज़नूं रहे

अब कहाँ मज़नूं रहे लैला नदारद हो गयी
अब मुहब्बत तो महज घर की सजावट हो गयी

Friday, 21 August 2009

सखे

उल्टे सीधे सब कर डालो काम सखे
जैसे भी हो जग में करलो नाम सखे

Tuesday, 18 August 2009

आए अब तक सावन कितने

आए अब तक सावन कितने
सूखे फ़िर भी मधुबन कितने

Saturday, 15 August 2009

ऐसी कोई बात न करना

ऐसी कोई बात न करना
भरी दुपहरी रात न करना

Monday, 10 August 2009

आईने की हर कमी गिनवाइये

आईने की हर कमी गिनवाइये

शक्ल पर अपनी कभी मत जाइए

Saturday, 8 August 2009

अकड़ दिखा कर खडा रहा तो

अकड़ दिखा कर खडा रहा तो बहुत बहुत पछतायेगा
लोट-पोट हो जा चरणों में आंखों में बस जायगा

Tuesday, 4 August 2009

दुर्गा दास राठोड

मारवाड़ रियासत के सिरमौर प्रखर स्वामी-भक्त अजेय योद्धा वीर शिरोमणी दुर्गा दास राठोड की आज ३७१ वीं जयंती है। उनके सम्मान में प्रस्तुत है काव्यांजलि:

Saturday, 1 August 2009

मित्रता दिवस पर विशेष

ज़िंदगी तूफाँ किनारा मित्रता

हर मुसीबत में सहारा मित्रता

पथ-प्रदर्शक दिशा-दर्शक है सदा

घोर मावस में सितारा मित्रता

सरलता से मित्र अच्छे कब मिले

है सदा मुश्किल नज़ारा मित्रता

टूट जाए बेवकूफी से कभी

फ़िर नहीं होती दुबारा मित्रता

एक झरना अनवरत आनंद का

और खुशियों का पिटारा मित्रता

Friday, 31 July 2009

इंग्लिश में दोहे

मित्रों !
आपने दोहे बहुत पढ़े होंगे। हिन्दी में, ब्रज में, राजस्थानी में, गुजराती में तथा अन्य भाषाओं में "दोहा" बहुत ही लोकप्रिय छंद है। दोहे में चार चरण होते हैं। पहले और तीसरे चरण में १३ तथा दूसरे और चौथे चरण में ११ मात्राएँ होती हैं। दूसरे और चौथे चरण के अंत में तुक भी मिलाना जरूरी है।
किन्तु इंग्लिश भाषा में दोहे ? है न अनोखी और हैरत में डालने वाली बात ? इन दोहों में भी उपरोक्त नियमों का पूरा पालन किया गया है। इंग्लिश के शब्दों के हिन्दी उच्चारण की मात्राएँ गिनेंगे तो आपको विश्वास हो जाएगा। लीजिये प्रस्तुत हैं इंग्लिश में कुछ दोहे :--

Wednesday, 29 July 2009

लगते तो हैं प्यारे लोग

लगते तो हैं प्यारे लोग
सच में कड़वे खारे लोग

Sunday, 26 July 2009

इसलिए वह

इसलिए वह देवताओं की तरह इतरा गया
जो मिला उसके चरण तक झुक गया झुकता गया

Thursday, 16 July 2009

चाँद अकेला तारे गायब

चाँद अकेला तारे गायब
रातों रात नजारे गायब

Saturday, 11 July 2009

दिल में उतरा नाम किसीका

दिल में उतरा नाम किसीका
कोई हुआ गुलाम किसीका

Friday, 10 July 2009

इधर तुम हो खफा

इधर तुम हो खफा नाराज़ है दुनिया उधर सारी
तुम्हारा नाम ले ले कर सताना है अभी जारी

Wednesday, 8 July 2009

सिक्का

समझ रहा है खुदको सबसे समझदार सिक्का
खनक खनक कर ध्यान खींचता बार बार सिक्का

Thursday, 25 June 2009

किसने किसको क्या समझाया पता नहीं

किसने किसको क्या समझाया पता नहीं
कैसे राज़ समझ में आया पता नहीं

Wednesday, 24 June 2009

हर मुश्किल का हल निकलेगा

हर मुश्किल का हल निकलेगा
आज नहीं तो कल निकलेगा

Tuesday, 23 June 2009

उसने चंद लकीरें छोडी

उसने चंद लकीरें छोडी मेरी मुट्ठी में
लोग कहे है माल करोडी मेरी मुट्ठी में

Sunday, 21 June 2009

बहला-फुसला कर वह मुझको

बहला-फुसला कर वह मुझको कुछ ऐसे भरमाता है
सात समंदर पार का सपना सपना ही रह जाता है

Saturday, 20 June 2009

कभी फूल को चाँद कह कर पुकारा

कभी फूल को चाँद कह कर पुकारा
कभी नाम खुशबू दिया चांदनी को
चकित हैं सितारे नजारे अचंभित
हुआ क्या अरे क्या हुआ आदमी को

Wednesday, 17 June 2009

नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे

नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे कैसी जोर-ज़बरदस्ती
प्यार मुसीबत निकला यारों हम तो समझे थे मस्ती

Tuesday, 16 June 2009

तौबा करले

रिश्तों को उलझाने से तौबा करले
दिल को और दुखाने से तौबा करले

Monday, 15 June 2009

अमृत का स्वाद चखा

अमृत का स्वाद चखा तो जहर पिया मैंने
छोटे से जीवन को क्या खूब जिया मैंने

Thursday, 11 June 2009

इश्क में मुब्तिला नहीं होता

इश्क में मुब्तिला नहीं होता
तो मुसीबतजदा नहीं होता

Monday, 8 June 2009

फ़ैल रही है घोर निराशा

फ़ैल रही है घोर निराशा कमजोरों लाचारों में
बैद-हकीम-चिकित्सक सारे खुद शामिल बीमारों में

Sunday, 7 June 2009

धारा के तेवर

धारा के तेवर क्या पता किनारों को 
छुप छुप देखा करता वक़्त नजारों को 

Saturday, 6 June 2009

उनके गुस्से से घबरा मत

उनके गुस्से से घबरा मत कर मत रंज सजा पर तू  
उनकी नज़रें हर पल तुम पर खुश रह इसी बिना पर तू 

Friday, 5 June 2009

मैं दीवाना

उनसे जब मिल कर आया मैं दीवाना  
चरणों में सब धर आया मैं दीवाना 

Friday, 29 May 2009

दरकार है

आदमी को जिन्दगी दरकार है 
जिन्दगी को हर खुशी दरकार है 

Thursday, 28 May 2009

गए थे पास उनके

गए थे पास उनके पर उन्हें मिल कर नहीं आये 
बहुत कुछ था जुबां पर पर उन्हें कह कर नहीं आये

Sunday, 24 May 2009

नफरत मेरे खून से ही मिटा दे

नफरत मेरे खून से ही मिटा दे 
मुझे बस मुहब्बत मुहब्बत बना दे

Thursday, 21 May 2009

पत्थर अज़ीज़ है

थक गया जब बेतहाशा काम मिल गया 
बेकार हूँ बेशक मगर आराम मिल गया

Saturday, 16 May 2009

झूंठी बातें चलना मुश्किल

झूंठी बातें चलना मुश्किल
पल पल बात बदलना मुश्किल

Tuesday, 12 May 2009

अजीब हैं

अजीब हैं हुज़ूर तो अजीब ये विचार है 
कि हर तरफ जहान में खुशी अमन करार है

Monday, 11 May 2009

ऐरे गैरे

ऐरे गैरे नत्थू खैरे जिस दिन से स्वीकार हुए  
द्वार देहरी घर आँगन सब उस दिन से बीमार हुए

Sunday, 10 May 2009

लगे अनेक घाव हैं

लगे अनेक घाव हैं कि दर्द बेशुमार है  
ज़नाब की गलतफहम निगाह का शिकार है

Friday, 8 May 2009

मामला

हो गया था शांत सारा मामला
खुल गया फिर क्यों दुबारा मामला

Tuesday, 5 May 2009

कहता तो हूँ

कहता तो हूँ पांडवों की ही कथा मित्रों
तुम पर मुझ पर भी यही तो है घटा मित्रों

Friday, 24 April 2009

बेल ज़हरीली

बेल ज़हरीली हमारे बाग़ को डसने लगी
देखिये धरती बिचारी बोझ से धंसने लगी

Thursday, 16 April 2009

सच कहा तो हो गया

सच कहा तो हो गया सीना सवाया फूल कर
इस ज़माने की नज़र में वह हिमाक़त थी मगर

Wednesday, 15 April 2009

बिचारा आदमी

बिचारा आदमी रोये कहाँ यारों
भरोसेमंद अब कंधे कहाँ यारों

Tuesday, 14 April 2009

आर-पार शीशे का घर

आर-पार शीशे का घर
सब कुछ दिख जाने का डर

Sunday, 12 April 2009

आसमान से आग

आसमान से आग उगलता यह ऐसा सावन क्यों था
सारी दुनिया थी तो थी पर तू मेरा दुश्मन क्यों था

Friday, 10 April 2009

पूजिए इंसान को

पूजिए इंसान को कानून हो गया
और फ़िर इंसानियत का खून हो गया

Wednesday, 8 April 2009

विजय पराजय

विजय-पराजय यश-अपयश पर इठलाना मुरझाना क्या
ये सब बातें आनी जानी पाना क्या खो जाना क्या

Tuesday, 7 April 2009

ऊपरवाला दे देता है

ऊपरवाला दे देता है क्यों ऐसा वरदान सदा
मैं जिस पत्थर को भी पूजूं बन जाए भगवान सदा

Friday, 3 April 2009

उपदेशों की

उपदेशों की आदेशों की झड़ी लगाने वाले ने
मुझे कहाँ ला छोडा मुझको राह दिखाने वाले ने

Thursday, 26 March 2009

नव संवत्सर २०६६

भारतीय काल-गणना के अनुसार चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से नव-वर्ष का प्रारंभ होता है। एक मात्र गुजराती परम्परा को छोड़ दें, जिसमें दिवाली के दूसरे दिन को नव-वर्ष का पहला दिन माना जाता है; तो शेष सम्पूर्ण भारत में नव-वर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से ही होता है। भारतीय मान्यताओं के अनुसार ब्रह्माजी ने इसी दिन सृष्टि का निर्माण करना प्रारम्भ किया। मर्यादा पुरुषोत्तम राम इसी दिन अयोध्या नरेश बने। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिवस, महर्षि गौतम की जयंति एवं आर्य समाज का स्थापना दिवस इसी दिन मनाया जाता है। अन्तिम जैन तीर्थंकर भगवान् महावीर के परिनिर्वाण की स्मृति में चलाया गया वीर संवत २५३६ भी आज प्रारंभ हुआ। आज के दिन के साथ जुडी भारतीय परम्पराओं एवं मान्यताओं की सूची यहीं समाप्त नहीं होती। द्वापर युग की समाप्ति के पश्चात कलयुग को प्रारम्भ हुए ५११० वर्ष पूर्ण हो कर आज ५१११ वां वर्ष शुरू हुआ। महाराजा विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करनेकी खुशी और यादगार में इस दिन से नए संवत्सर का शुभारम्भ किया जो विक्रम संवत के नाम से आज भी प्रचलित है। इस घटना को २०६५ वर्ष हो गए।

समस्त देशवासियों को भारतीय नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

नव-वर्ष के प्रथम सूर्योदय की स्वर्ण-रश्मियों के दिव्य स्पर्श को अनुभव करते हुए आप भी अपने इष्ट-मित्रों को शुभकामनायें अवश्य दें ! और हाँ, चूंकि यह भारतीय नव-वर्ष है इसलिए सूर्योदय के साथ प्रारम्भ होता है, आधी रात से नहीं।

नव संवत्सर देश को ऐसा करे निहाल।
खुशियाँ छप्पर फाड़ कर करदे मालामाल॥
करदे मालामाल बजादे ऐसा डंका।
रावण-वध कर राम जीत आए ज्यों लंका॥
अन्न और धन का लगे हर घर में अम्बार।
कृषि, उद्योग फूले फले खूब बढे व्यापार॥

जय भारत ! जय भारती ! !

Wednesday, 25 March 2009

उनसे मिलने से पहले

उनसे मिलने से पहले तड़पन सी होती है
मिल कर बिछ्डो दिल में एक चुभन सी होती है

Tuesday, 24 March 2009

इतनी सी यह बात

इतनी सी यह बात समझ लें हंगामा करने वाले
कोस-कोस कौए मर जाएँ बैल नहीं मरने वाले

Monday, 23 March 2009

चन्द तिनकों के सहारे

चन्द तिनकों के सहारे मैं यहाँ तक आ गया
बरगदों की छाँव में जब भी गया घबरा गया

Friday, 20 March 2009

गए थे पास उनके

गए थे पास उनके पर उन्हें मिल कर नहीं आए
बहुत कुछ था जुबां पर पर उन्हें कह कर नहीं आए

Wednesday, 18 March 2009

चुटकी में

बदलता है भला ऐसे कभी व्यवहार चुटकी में
लड़ो भी एक पल में और कर लो प्यार चुटकी में

Tuesday, 17 March 2009

परम्परा

परम्परा निर्वाह करेंगे अपना फ़र्ज़ निभाएंगे
जो बातें ख़ुद समझ न पाये बच्चों को समझायेंगे

Sunday, 15 March 2009

नौका टूटे नाविक रूठे

नौका टूटे नाविक रूठे छूटे साथ किनारों का
दीवाना हूँ दीवाने को डर कैसा मंझधारों का

Tuesday, 10 March 2009

होली

सूरज लाल चाँद ले पीला आए मेरे द्वार।
बोले आओ यार मनाएं होली का त्यौहार।
मैंने बोला यह आमंत्रण मुझे नहीं स्वीकार।
जाओ पहले लेकर आओ संग में मेरा यार।
क्यों ? ठीक किया ना?
होली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं !!!

Sunday, 8 March 2009

टेढी मेढी चाल

टेढी मेढी चाल सितारे छोड़ सकें तो अच्छा है

या फिर हम उन चालों का रुख मोड़ सकें तो अच्छा है

Saturday, 7 March 2009

नादानी है

पहले ऊंची जात कहूं तो नादानी है
फिर अपनी औकात कहूं तो नादानी है


Friday, 6 February 2009

स्वागतम

वंदे मातरम!
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
मैं यहाँ पर आपके साथ अपने विचारों का आदान प्रदान करूंगा।
इसके अलावा मैं यहाँ अपनी स्वरचित हिन्दी ग़ज़लें भी प्रस्तुत करूंगा।
इन ग़ज़लों पर आपके विचार एवं टिप्पणियाँ सादर आमंत्रित हैं।

यह करो यह मत करो समझायेगी दुनिया मुझे
मैं नहीं समझा अगर खा जायेगी दुनिया मुझे